नई दिल्ली. अगले हफ्ते आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक हो सकती है. यह बात लगभग तय है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो रेट में बदलाव या कहें वृद्धि कर सकता है. गर्वनर शक्तिकांत दास पहले ही इस ओर इशारा कर चुके हैं.
उन्होंने कहा था कि बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच दर वृद्धि का अनुमान लगाना कोई रहस्य की बात नहीं है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि रेपो रेट में कितनी वृद्धि हो सकती है.
जानकारों का कहना है कि इस बार 25-50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि देखने को मिल सकती है. 25-50 बेसिस पॉइंट का मतलब है 0.25-0.50 फीसदी की वृद्धि.
एमपीसी की बैठक 6-8 जून को होगी. रेपो रेट व आर्थिक नीतियों से जुड़ी जानकारियां बैठक के आखिरी दिन 8 जून को सबके सामने रखी जाएंगी.
क्या है जानकारों की राय
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी ने कहा है कि आने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट 50 बेसिस पॉइंट तक बढ़ सकती है. वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने बात करते हुए का कहा है
कि रेपो रेट के 25-35 बेसिस पॉइंट तक बढ़ने का अनुमान है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्टिविटीज के सुवोदीप रक्षित के अनुसार, रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट की वृद्धि हो सकती है.
उन्होंने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 23 के अंत तक एक बार और रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट तक की वृद्धि हो सकती है.
आप पर क्या होगा असर
अगर आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि करता है तो आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. इसका सीधा असर आपके द्वारा लिए गए लोन पर होगा.
आरबीआई ने मई में रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की थी जिसके बाद सभी बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी थी.
यह एक आम प्रचलन है. इस बार भी आरबीआई के रेट बढ़ाने के बाद बैंक फिर से ब्याद दरें बढ़ा देंगे और आपका कर्ज महंगा हो जाएगा.
कई जानकारों का कहना है कि लोगों की क्रय क्षमता कम होने से इसका असर उद्योगों की आय व लाभ पर भी होगा. इससे उनके मुनाफे में कमी आ सकती है.